क्या होता है रूमेटाइड आर्थराइटिस? जानें इससे जुड़ी महत्त्वपूर्ण बातें

September 30, 2021by admin-mewar
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क्या होता है रूमेटाइड अर्थराइटिस? जानें लक्षण, कारण एवं इलाज

इंसान की जिंदगी में किसी ना किसी तरह की परेशानी होना एक आम बात है। हममें से कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने पारिवारिक, शारीरिक, या व्यवसाय-संबंधी समस्याओं का सामना किया होगा। आज हम खासतौर से एक ऐसी शारीरिक समस्या से आपको परिचित कराएंगे जिसके बारे में आपने शायद पहले कभी नहीं सुना होगा। लेकिन इस तरह की परिस्थति हमारे लिए निराशाजनक साबित हो सकती है। हम बात कर रहे हैं आर्थराइटिस के एक प्रमुख प्रकार रूमेटाइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) की।

जो लोग अर्थराइटिस यानि गठिया रोग से परिचित नहीं हैं, उन्हें बताते चलें कि यह आपके जोड़ों के लिए बेहद खतरनाक अवस्था है। शरीर में इस रोग की मौजूदगी हमारे सुखी जीवन में बाधा डाल सकती है। जी हां, यह एक ऐसी स्थिति है जिसकी वजह से जोड़ों में सूजन, दर्द के साथ अकड़न पैदा हो जाती है। दुनिया में लाखों लोग इस समस्या से परेशान हैं। आर्थराइटिस की मौजूदगी में आपको दर्द के साथ दिनचर्या में होने वाली गतिविधियों में भी परेशानी झेलनी पड़ सकती है। क्योंकि इससे आपके जोड़ों की गति पर बुरा असर पड़ता है।

इस ब्लाॅग के माध्यम से मेवाड़ हाॅस्पीटल की टीम आपको रूमेटाॅइड आर्थराइटिस के बारे में बताएगी। साथ ही आप जानेंगे कि क्यों ये हमारे शरीर के स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर समस्या है।

क्या है रूमेटाइड आर्थराइटिस?

इसे रूमेटी गठिया, आमवातीय संध्यार्ति या आमवातीय संधिशोथ के नाम से भी जाना जाता है। आमतौर पर आर्थराइटिस में जोड़-संबंधी परेशानी देखने को मिलती है। लेकिन बात की जाए रूमेटाइड अर्थराइटिस की, तो इसमें जोड़ों के साथ-साथ शरीर के दूसरे अंगों, जैसे कि त्वचा, आंख, फेफड़े, दिल, किडनी, और खून की धमनियों पर भी गलत असर पड़ सकता है। यह एक आटोइम्युन डिस्ओर्डर (autoimmune disorder) है। ऐसी परिस्थति तब होती है जब हमारा प्रतिरक्षा तंत्र (immune system) गलती से हमारे ही शरीर के टिशू पर हमला कर देता है।

यह समस्या शरीर के किसी भी जोड़ में दर्द व सूजन पैदा होने का कारण बन सकती है। ऐसा होने पर जोड़ों का मूवमेन्ट कम होने की संभावना बढ़ जाती है। रूमेटाइड आर्थराइटिस शरीर के दोनों तरफ के जोड़ों पर अपना असर डाल सकता है, जैसे कि दोनों घुटनों, कलाइयों या हाथों में। यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति के साथ हो सकती है। और हां, समय रहते अगर इसकी जांच या उपचार नहीं होता है तो हालात बिगड़ भी सकते हैं। बीमारी का पता लगने के बाद जितना जल्दी उपचार शुरू हो जाए उतना ही वह प्रभावी सिद्ध हो सकता है।

रूमेटाइड आर्थराइटिस के चरण

इस प्रकार की समस्या के कुछ चरण हैं और सभी चरणोें का इलाज अलग है। सबसे पहले बात की जाए पहले चरण की, यह वो समय होता है कि जब सिनोवियम (synovium) में सूजन आ जाती है। हालांकि ऐसी स्थिति में जोड़ को नुकसान नहीं पहुंचता, लेकिन उसके नज़दीक टीशू सूज जाते हैं जिस वजह से जोड़ों में दर्द होने लगता है। इसके बाद आता है दूसरा चरण जिसमें कार्टिलेज को नुकसान पहुंचता है और जोड़ों में कठोरपन आ जाता है। अतः जोड़ों की गति कम हो जाती है और व्यक्ति को परेशानी उठानी पड़ती है।

अब बात की जाए तीसरे चरण की, इसमें सूजन की वजह से कार्टिलेज और हड्डियों के सिरों को क्षति पहुंचती है। और चैथा यानि आखरी चरण बड़ा ही गंभीर माना जाता है। इसमें जोड़ पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और ठीक तरह से काम करना बंद कर देते हैं। इसके फलस्वरूप व्यक्ति को दर्द, सूजन, कठोरता के साथ-साथ गति में कमी आने लगती हैं। यहां तक कि मांसपेशियां कमज़ोर होने लगती हैं और ऐसे मौकों पर सर्जरी करने की ज़रूरत भी पड़ जाती है। इसलिए कोशिश करें कि जब आप शुरूआती चरण में हों और आपको शरीर-संबंधी कोई परेशानी हो, तो आप डाॅक्टर से सलाह ज़रूर लें। ऐसी परिस्थतियों में मेवाड़ हास्पीटल आपकी सेवा के लिए उपलब्ध है।

रूमेटाइड आर्थराइटिस के लक्षण

रूमेटाइड आर्थराइटिस के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं।
1. जोड़ों में दर्द
2. जोड़ों में सूजन
3. जोड़ों में अकड़न
4. पीठ व मांसपेशियों में दर्द
5. चलने फिरने में परेशानी होना
6. उंगली में गांठ या सूजन की उपस्थिति

इसके अलावा थकान, कमतर श्रेणी वाला बुखार, वज़न कम होना, भूख ना लगना, सीने में दर्द, जोड़ों में लालपन, आदि भी इस स्थिति के लक्षण माने गए हैं। रूमेटाइड अर्थराइटिस के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर भी हो सकते हैं। इसलिए ज़रूरत इस बात की है कि लक्षणों को नज़रअंदाज़ ना किया जाए, भले ही वे आते-जाते रहें।

रूमेटाइड आर्थराइटिस के कारण

डाॅक्टर पूर्ण रूप से रूमेटाइड अर्थराइटिस के कारण को पता नहीं कर पाए हैं। यह ज्ञात नहीं हो पाया है कि हमारा प्रतिरक्षा तंत्र आखिर क्यों जोड़ों में उपस्थित स्वस्थ टिशूस को अटैक करता है। कुछ एक्स्पट्र्स का कहना है कि वायरस या फिर बैक्टिरिया की वजह से हमारा प्रतिरक्षा तंत्र (immune system) बदल जाता है, जो हमारे जोड़ों पर अटैक कर देता है। नीचे दिए गए कुछ पाॅइंट्स के माध्यम से जानिए आखिर कौनसी बातें इस तरह की बीमारी को बढ़ावा दे सकती हैं।

1. रिपोर्ट्स के मुताबिक यह मालूम चलता है कि इस तरह की परेशानी पुरूषों के मुकाबले औरतों में ज़्यादा देखने को मिलती है। ऐसा बताया जाता है कि औरतों में दो से तीन गुना ज़्यादा रूमेटाइड आर्थराइटिस होने का खतरा रहता है।
2. कुछ आनुवांशिक (genetic) कारणों के तहत भी रूमेटाइड आर्थराइटिस का खतरा हो सकता है। धुम्रपान या फिर अनुचित और असंतुलित खान-पान की वजह से भी समस्याएं हो सकती है। यह स्पष्ट नहीं है कि जैनेटिक लिंक क्या है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि इसकी वजह से यह परेशानी हो सकती है।
3. वैसे को वयस्क यानि युवाओं में से ये समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है। लेकिन आमतौर पर 40 से 60 वर्ष के लोगों में इसका प्रभाव ज़्यादा देखने को मिलता है।
4. जो लोग मोटापे का शिकार हैं, उन्हें भी इस तरह की स्थिति को लेकर सचेत रहने की ज़रूरत है। अपने बाॅडी मास इंडेक्स को 18.5 से लेकर 24.9 के बीच रखें। क्योंकि यह रेंज दर्शाती है कि आपका वज़न स्वस्थ सीमा में है। 25 से ऊपर बी.एम.आई. होने का मतलब है कि आपका अधिक वज़न की सीमा में हैं।
5. असंतुलित एस्ट्रोजन हाॅरमोन भी रूमेटाइड अर्थराइटिस का कारण बन सकता है।

यदि आप एक स्वस्थ जीवन के लिए उचित सलाह पाना चाहते हैं, तो आज ही मेवाड़ हाॅस्पीटल के डाॅक्टर्स से संपर्क करें।

याद रहे

रूमेटाइड आर्थराइटिस एक बढ़ने वाली बीमारी है। यदि समय रहते इलाज ना किया जाए, तो यह शरीर के दूसरे भागों में भी अपना प्रभाव डाल सकती है। क्योंकि कई सारे लक्षण रूमेटाइड आर्थराइटिस के अलावा दूसरी बीमारियों में भी पाए जाते हैं, इसलिए इसकी जांच मुश्किल मानी जाती है। इसका परीक्षण लक्षणों पर आधारित होता है। ऐसा कोई विशिष्ट टेस्ट नहीं है जिसके माध्यम से रूमेटाइड आर्थराइटिस को पहचाना जा सके।
आपके डाॅक्टर आपसे लक्षणों के बारे में पूछेंगे और फिज़िकल एग्जाम भी ले सकते हैं। वो जोड़ों की गति का भी जायज़ा ले सकते हैं कि आखिर वे किसी तरह से घूम रहे हैं। इसके साथ ही कुछ टेस्ट के लिए भी कहेंगे, जैसे कि ब्लड टेस्ट, एक्स-रे, ई.एस.आर, सी.आर.पी, फूल ब्लड काउन्ट, एंटी सी.सी.पी एंटीबाॅडीज, एम.आर.आई. या अल्ट्रासाउण्ड।

रूमेटाइड आर्थराइटिस के प्रकार

अगर रूमेटाइड आर्थराइटिस का प्रकार जान लिया जाए, तो इसके माध्यम से डाॅक्टर इलाज को सुनिश्चित कर सकते हैं। यहां हम बात करेंगे रूमेटाइड अर्थराइटिस के तीन प्रमुख प्रकारों की।

1. सेरोपाॅजिटिव आर.ए. (Seropositive RA)
यदि आपके खून की जांच में रूमेटाइड फेक्टर और एंटी-सीसीपी पाॅजिटिव आता है, तो इसका मतलब यह है कि आपकी बाॅडी सक्रिय तौर पर इम्युन प्रतिक्रिया साधारण टिशूज पर पैदा कर रही है। ऐसा बताया जाता है कि यदि आपके माता-पिता या फिर भाई-बहन में से कोई रूमेटाइड फेक्टर में पाॅजिटिव पाया गया है, तो आपके शरीर में भी रूमेटाइड आर्थराइटिस होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। हालांकि ऐसा भी नहीं है कि अगर आपके शरीर में इन प्रोटीन्स की उपस्थिति है तो आपको रूमेटाइड आर्थराइटिस होगा ही।

2. सेरोनेगेटिव आर.ए. (Seronegative RA)
जिन लोगों के खून में रूमेटाइड फेक्टर और एंटी सी.सी.पी. नेगेटिव आता है उन्हें भी रूमेटाइड आर्थराइटिस होने का खतरा है। बीमारी का पता लगाने के लिए सिर्फ ये टेस्ट ही काफी नहीं हैं। जिन लोगों में रूमेटाइड फेक्टर और एंटी-सी.सी.पी. नेगेटिव आता है, उनमें पाॅजिटिव लोगों की तुलना में रूमेटाइड आर्थराइटिस का हल्का रूप पाया जा सकता है।

3. जुवेनाइल आइडियोपेथिक आर.ए. (Juvenile Idiopathic RA)
जैसा कि हमने बताया कि इस तरह की बीमारी विभिन्न आयु वर्ग में देखने को मिल सकती है। जुवेनाइल आइडियोपेथिक अर्थराइटिस गठिया का एक सामान्य प्रकार है जो कि बच्चों में देखने को मिलता है। लगभग 17 साल से कम उम्र के बच्चों में इस तरह की शिकायत पाई जाती है। इसमें लक्षण अस्थायी रूप से भी हो सकते हैं। और कुछ मामलों में जीवनभर भी रह सकते हैं। बड़ों की तरह बच्चोें में भी जोड़ों में दर्द, घुटनों में दर्द, अकड़न और सूजन की समस्या हो सकती है। अगर मामला गंभीर है, तो इससे आंख संबंधी परेशानी होने के साथ ही बच्चे के शारीरिक विकास पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

इसलिए ज़रूरत इस बात की है कि बच्चों के स्वास्थ्य पर पूर्ण रूप से ध्यान दिया जाए। हो सकता है कि समय पर उपचार के माध्यम से आपके बच्चे को आने वाले समय में परेशानी का सामना ना करना पड़े। किसी भी तरह की जोड़-संबंधी समस्या की सहायता के लिए कृपया मेवाड़ हाॅस्पीटल पधारें।

रूमेटाइड आर्थराइटिस का इलाज

रूमेटाइड आर्थराइटिस का इलाज विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा हो सकता है। इसमें आराम, दवाइयां, व्यायाम, और सर्जरी शामिल हैं। आइए पहले बात करते हैं उन दवाईयों की जो ऐसी परिस्थतियों में उपयोगी मानी जाती हैं।

1. पेनकिलर्स (painkillers)
2. नाॅन-स्टेराॅइडल एंटी इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (non-steroidal anti inflammatory drugs)
3. डिजीज माॅडिफाइंग एंटी रूमेटिक ड्रग्स (disease modifying anti-rheumatic drugs)
4. स्टेराॅइड्स (steroids or cortisteroids)

इसके अलावा भी कुछ विकल्प मौजूद हैं जो रूमेटाइड अर्थराइटिस में उपयोगी साबित हो सकते हैं। कई लोगों को एक से ज़्यादा तरह की दवाई लेने की भी ज़रूरत पड़ती है। ऐसा इसलिए क्योंकि हर दवाई अलग तरीके से काम करती है। हो सकता है कि दवाईयां समय रहते लक्षणों के हिसाब से बदली भी जाएं।

दवाईयों के बाद बात आती है आराम और व्यायाम की। जब सूजन ज़्यादा बढ़ जाए, तो ज़रूरी है कि जोड़ों को आराम दिया जाए। और जब सूजन में आराम मिल जाए, जो कोशिश करें कि आप व्यायाम करलें। इसके माध्यम से आप अपने जोड़ों को लचीला और और उसके आसपास की मांसपेशियों को मज़बूत कर सकते हैं। तेज़ गति से चलना, स्वीमिंग करना या फिर जेंटल स्ट्रेचिंग भी फायदेमंद हो सकती है। इन सबको करने से पूर्व फिजिकल थेरेपिस्ट से संपर्क ज़रूर करें और उनकी सलाह के मुताबिक काम करें।

आखिर में यदि जोड़ को क्षति ज़्यादा पहुंच चुकी हो और व्यक्ति को जीवन व्यतीत करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा हो, तो ऐसे समय में जोंइट सर्जरी भी एक विकल्प है।

रूमेटाइड अर्थराइटिस के इलाज से जुड़ी एक महत्त्वपूर्ण बात यह भी है कि इसका इलाज मुमकिन नहीं है। आप सिर्फ इसे दिए गए माध्यमों के द्वारा मैनेज कर सकते हैं। लेकिन दिए गए इलाज के विकल्पों से कई लोग एक सक्रिय जीवन व्यतीत कर सकते हैं और ये लंबे समय वाली जटिलताओं के जोखिम को भी कम करने में सहायक हैं।

कुछ अन्य उपयोगी बातें।

1. बर्फ या गर्म सेक के ज़रिए भी आपको सूजन और दर्द में आराम मिल सकता है।
2. आपके डाॅक्टर लक्षणों को देखते हुए कुछ एंटी इंफ्लेमेटरी डाइट की भी सलाह दे सकते हैं। खासतौर से वह जिनमें ओमेगा-3 फैटी एसिड्स मौजूद हों। जैसे कि मछली, चिया सीड्स, फ्लेक्स सीड्स, अखरोट, आदि।
3. कुछ विटामिन्स, जैसे कि विटामिन ए, सी, और ई भी सूजन कम करने में मदद कर सकते हैं।
4. फाइबर युक्त आहार, ताजे़ फल, ताज़ी सब्जियां, और साबुत अनाज का भी सेवन करें।

मेवाड़ हाॅस्पीटल टीम का संदेश

जोड़ों में दर्द एक आम बात मानी जाती है। कई बार हमें भी इस तरह की परेशानी होती है जो समय रहते बिना किसी उपचार के ठीक हो जाती है। लेकिन हां, यदि आपको लगातार जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या हो रही हो जो कुछ घरेलू उपचार के बाद भी ठीक ना हो, तो कृपया लापरवाही ना बरतें। याद रखें, रूमेटाइड आर्थराइटिस को बिना उपचार के छोड़ दिया जाए, तो इससे जोड़ में खराबी और चलने-फिरने की प्रक्रिया में रूकावटें आ सकती हैं। साथ ही आपको यह भी बताते चलें कि रूमेटाइड अर्थराइटिस को नज़रअंदाज़ करने से आपकी जान को भी खतरा हो सकता है। जी हां, इसकी वजह से हार्ट अटैक, स्ट्रोक, और यहां तक कि कैंसर होने की संभावना तक बन सकती है।

इसलिए सतर्कता बरतें। किसी भी तरह की समस्या होने पर हमारे कुशल डाॅक्टर्स से संपर्क करें। मेवाड़ हाॅस्पीटल की टीम आपको विभिन्न उपचारों के माध्यम से इस बीमारी से लड़ने में मदद करेगी। इसके अलावा भी यदि आपको रूमेटाइड आर्थराइटिस या इससे जुड़े उपचार के बारे में और कोई जानकारी प्राप्त करनी है तो कृपया हमारी टीम से संपर्क कर संबंधित डाॅक्टर से अपाॅइंटमेन्ट फिक्स करके मिलें।

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