कंधे में दर्द से हैं परेशान? जानें इसके कारण और अन्य महत्त्वपूर्ण बातें

August 16, 2021by admin-mewar
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कंधे में दर्द से हैं परेशान? जानें कारण, इलाज, लक्षण

दर्द एक ऐसी अवस्था है जिसे आप और हमने जीवन के किसी ना किसी हिस्से में महसूस किया है। हमारे शरीर में कई तरह के दर्द उत्पन्न हो सकते हैं। जैसे कि अगर बात की जाए कंधे में दर्द की, तो यह एक आम समस्या मानी जाती है। हमारे कंधे रोज़मर्रा की जिंदगी में कई तरह की गतिविधियों में काम आते हैं। कई बार कंधे में दर्द इंसान की लापरवाही के कारण ही उत्पन्न हो जाता है। काफी मौकों पर यह कुछ समय के लिए हो जाता है, लेकिन समय के चलते अपने आप सही हो जाता है। और कई बार ऐसा भी होता है कि कंधे का दर्द इंसान के लिए असहनीय बन जाता है और डाॅक्टर से परामर्श लेना ज़रूरी हो जाता है। मेवाड़ हाॅस्पिटल की टीम आज आपको कंधे के दर्द से जुड़ी कई महत्त्वपूर्ण बातों से परिचित कराएगी।

जानिए कंधे से जुड़ी कुछ अहम बातें

हमारा कंधा एक बाॅल एवं साॅकेट (ball and socket) जोड़ है जिसमें मुख्य रूप से तीन हड्डियां हैं। यह हैं-
1. ह्यूमेरस (humerus) लंबी बाह की हड्डी
2. क्लेविकल (clavicle) काॅलरबोन
3. स्केपुला (scapula) शाॅल्डर ब्लेड

यह तीनों हड्डियां कंधे का जोड़ बनाती हैं। अब बात की जाए रोटेटर कफ की, तो ये मांसपेशियों और टेंडन्स का समूह है और कंधों के पास स्थित होता है। यह हमारे हाथों को घुमाने और मोड़ने में सहायक होता है, साथ ही कंधे की स्थिरता बनाए रखने में भी मदद करता है। ये ह्यूमेरस के गोले को बाकी दो हड्डियों द्वारा गठित साॅकेट में रखता है। यदि रोटेटर कफ के इर्द-गिर्द के टेंडन्स क्षतिग्रस्त होते हैं या उनमें सूजन उत्पन्न हो जाती है, तो बाजुओं से जुड़ी कुछ समस्याएं आ सकती हैं।

कंधे के दर्द से जुड़े कुछ महत्त्वपूर्ण बिंदु:-

1. इस तरह की परेशानी पुरूषों के मुकाबले महिलाओं में ज़्यादा देखने को मिलती है।
2. आज के दौर में कई नौजवान भी इस दर्द से परेशान हैं। लेकिन अधेड़ उम्र के लोगों में यह एक आम परेशानी है।
3. यह एक आम प्रकार का दर्द है जो कंधे को ज़्यादा प्रयोग में लेने से भी हो सकता है। कई बार यह दर्द प्राकृतिक तौर पर उम्र बढ़ने के साथ भी हो जाता है।
4. कंधे में दर्द का कारण किसी तरह की चोट, क्षति या घाव भी हो सकता है।
5. कंधे पर किसी वस्तु का सीधा असर, असामान्य झुकाव या घुमाव के कारण भी दिक्कत हो सकती है।

कंधे में दर्द के लक्षण

1. यदि आप कोई काम कर रहे हैं जिससे कंधे के अलावा बाजू में भी लगातार दर्द है।
2. किसी वस्तु को उठाते समय कंधे में अकड़न आना।
3. बाजू को हिलाते समय एकदम से अत्यधिक दर्द होना, यहां तक कि उसे हिलाने में भी असमर्थ होना।
इसके साथ ही यदि आपको कंधे के जोड़ में हफ्तों, महीनों या सालों से दर्द है, तो ऐसी परिस्थितियों में आप मेवाड़ हाॅस्पिटल आकर हमारे डाॅक्टर्स से बात कर सकते हैं।

कंधे में दर्द के कारण

1. टेन्डिनाइटिस (Tendinitis) एवं बर्साइटिस (Bursitis)
दोनों ही सूजन संबंधी स्थितियां हैं जो कि कंधे में दर्द और कठोरता का कारण हैं। यह किसी गंभीर चोट या खेल-संबंधी गतिविधियों के कारण हो सकती हैं। 40 वर्ष से ऊपर के लोगों में इस तरह की समस्या ज़्यादा देखने को मिलती है। बात की जाए टेन्डिनाइटिस की, यह तब होती है जब रोटेटर कफ में स्थित टेन्डंस में सूजन या जलन आ जाती है। ऐसा होने पर कंधे में दर्द उत्पन्न होने लगता है। वहीं दूसरी तरफ बर्साइटिस उस स्थिति को कहते हैं जब बर्सा, जो कि शरीर के जोड़ों में स्थित एक तरल भरी थैली है, सूजन या जलन से ग्रस्त हो जाती है। इसके अंदर लुब्रिकेटिंग तरल पदार्थ होता है। इसका काम जोड़ों को घर्षण और रगड़ जैसी समस्याओं से बचाना होता है।

2. फ्रोज़न शोल्डर (Frozen Shoulder)
फ्रोज़न शोल्डर को आप कंधे में दर्द के प्रमुख कारणों में से एक मान सकते हैं। इसे अधेसिव कैप्सूलाइटिस (adhesive capsulitis) के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसी परिस्थिति है जिसकी वजह से कंधे में दर्द और अकड़न की समस्या उत्पन्न हो जाती है। इसके फलस्वरूप कंधे ओर ऊपरी बांह को हिलाना मुश्किल हो जाता है। यह परेशानी ज़्यादातर 40 से 60 वर्ष के लोगों में देखने को मिलती है। फ्रोज़न शोल्डर होने पर कंधे में दर्द तो आमतौर पर होता ही है, साथ ही समय के साथ-साथ अकड़न में भी वृद्धि होती है। कंधे में दर्द के साथ अकड़न होने पर कृपया डाॅक्टर से संपर्क कर उपचार ज़रूर करवाएं।

3. केल्सिफिक टेन्डिनाइटिस (Calcific Tendinitis)
इस तरह की समस्या आपके लिए दर्द भरी हो सकती है। यह एक ऐसी स्थिति है, जो इंसान के टेंडन्स और मांसपेशियों में कैल्शियम के जमा होने से होती है। केल्सिफिक टेन्डिनाइटिस शरीर के दूसरे हिस्सों में भी हो सकती है, लेकिन ज़्यादातर रोटेटर कफ या उसके आसपास के हिस्सों में ही कैल्शियम जमा होने लगता है। आमतौर पर कैल्सिफिक टेन्डिनाइटिस से होने वाला दर्द कंधे के आगे व पिछले हिस्सों में होता है।

4. आर्थराइटिस (Arthritis)
आर्थराइटिस को आप जोड़ों के लिए सबसे बड़ी समस्याओं में से एक मान सकते हैं। कार्टिलेज एक मुलायम इलास्टिक टिशू है जो कि जोड़ों की लंबी हड्डियों के सिरों को ढकता है एवं उनकी रक्षा करता है। आर्थराइटिस जैसी अवस्था में कार्टिलेज धीरे-धीरे खत्म होने लगता है या उसे क्षति पहुंचती है जिसकी वजह से कंधे और बांह को हिलाना मुश्किल हो जाता है। दर्द के अलावा यह समस्या सूजन और जोड़ों को क्षति पहुंचाती है। लगभग 100 से भी ज़्यादा तरह के आर्थराइटिस यानि गठिया रोग मौजूद हैं, जिनमें आस्टियोआर्थराइटिस (osteoarthritis), रूमेटाॅइड आर्थराइटिस (rheumatoid arthritis) और पोस्ट-ट्राॅमेटिक आर्थराइटिस (post-traumatic arthritis) प्रमुख हैं। आर्थराइटिस उन स्थितियों में से एक है जिनका पूर्ण रूप से उपचार नहीं हो सकता। लेकिन फिर भी दर्द में आराम या प्रतिबंधित मूवमेन्ट के लिए कई तरह के विकल्प मौजूद हैं। अगर दवाईयों, इंजेक्शन, फिज़िकल थैरेपी या आराम करने से मरीज़ को राहत नहीं मिलती, तो डाॅक्टर सर्जरी का सुझाव दे सकते हैं। जैसे कि शाॅल्डर रिप्लेसमेन्ट सर्जरी (shoulder replacement surgery) या फिर रिवर्स शाॅल्डर रिप्लेसमेन्ट सर्जरी (Reverse shoulder replacement surgery) आदि।

5. डिस्लोकेशन (Dislocation)
कंधे की हड्डी कुछ कारणों की वजह से अपने साॅकेट से खिसक सकती है और यही कंधे में दर्द का कारण बन सकती है। ह्यूमेरस थोड़ा या फिर पूर्ण रूप से साॅकेट से बाहर आ सकता है। ऐसी स्थितियां गिरने से, एक्सीडेन्ट से या फिर खेलते समय हो सकती हैं। जिस लोगों को इस तरह की परेशानी हो जाती है, उन्हें सूजन, दर्द, कमज़ोरी, अस्थिरता या फिर मांशपेशियों की ऐंठन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। शाॅल्डर डिस्लोकेशन के लिए क्लोस्ड रिडक्शन (closed reduction) तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है जो कि ऊपरी बांह को फिर से अपने साॅकेट में डाल देती है।

6. अस्थिरता (Instability)
यह स्थिति तब पैदा होती है जब किसी व्यक्ति के लिगामेन्ट्स और मांसपेशियां इतनी मज़बूत नहीं रह पाती कि वे कंधे की हड्डियों को साॅकेट में पकड़ के रख सकें। अस्थिरता होने का एक प्रमुख कारण डिस्लोकेशन भी है। यानि कि जितनी बार एक व्यक्ति डिस्लोकेशन से जुझेगा, उतना ही कंधे की स्थिरता कम होती रहेगी। इसके साथ ही लिगामेन्ट्स, जो कि ऐसे टिशूस हैं कि हड्डियों को दूसरी हड्डियों से जोड़कर रखते हैं, समय के साथ या फिर प्राकृतिक तौर पर ढीले हो जाते हैं। इस तरह की स्थिति का कारण ऐसी गतिविधियां हैं जिनमें बार-बार व्यक्ति अपनी बांह को सिर के ऊपर ले जाता है, जैसे कि स्विमिंग या टेनिस में।

7. फ्रेक्चर (Fracture)
हड्डी का टूटना शरीर के अन्य भागों के साथ-साथ कंधे में भी देखने को मिल सकता है। इसमें मुख्य रूप से काॅलर बाॅन, ऊपरी बांह की हड्डी या फिर शोल्डर ब्लेड की हड्डी टूट सकती है। वैसे तो ऐसी परिस्थिति किसी के भी साथ हो सकती है, लेकिन अधेड़ उम्र या उससे ऊपरी आयु वर्ग, जिन्हें आॅस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) की समस्या है, उन्हें खासतौर पर ध्यान रखने की ज़रूरत है।

8. विभाजन (Separation)
इस तरह की परिस्थति तब घटित होती जब काॅलरबोन और शोल्डर ब्लेड के बीच का संबंध बाधित हो जाता है। आमतौर पर यह परेशानी खेल-संबंधी गतिविधियों में देखने को मिलती है जब व्यक्ति अपने कंधे के बल गिर जाता है। ऐसा होने पर कंधे में तेज़ दर्द, सूजन, और नील जैसी परेशानियां हो सकती हैं।

याद रहे-

अगर अचानक से बाएं हाथ की तरफ कंधे में दर्द की अनुभूति हो रही हो, तो कृपया सावधान रहें क्योंकि यह हार्ट अटैक की चेतावनी हो सकती है। खासतौर पर अगर कंधे पर प्रेशर पड़ रहा हो और कंधे में असहनीय दर्द हो रहा हो जो कि छाती से होती हुए बाएं जबड़े, हाथ, और गले में हो रहा हो। या फिर उस समय सांस लेने में दिक्कत, पसीना या चक्कर आ रहे हों, तो जल्द से जल्द डाॅक्टर से संपर्क करें। ऐसे समय में आप मरीज़ को मेवाड़ हाॅस्पीटल लेकर आ सकते हैं।

कुछ मौकों पर कंधे से जुड़ी परेशानी में डाॅक्टर से मिल लेना बेहतर रहेगा। जैसे किः

1. जब आपको कोई चोट लगी हो और कंधे में दर्द, सूजन, या रक्ततस्राव हो रहा हो।
2. कंधे में दर्द होते समय बुखार, सूजन या लालपन आना।
3. कंधे में सूजन आना।
4. दर्द जो कि दो से चार हफ्तों में घरेलू उपचार के बाद भी ठीक ना होता हो।
5. कंधे को हिलाने-ढुलाने में दिक्कत आना।
6. कंधे की जगह पर त्वचा का नीला या लाल रंग होना

कंधे में दर्द का इलाज

जब आप डाॅक्टर के पास जाएंगे, तो वो आपके कंधे की हालत को ध्यान से देखेंगे। और भी अच्छी तरह से समझने के लिए वो कुछ टेस्ट के लिए भी कह सकते हैं। जैसे कि एक्स-रे और एम.आर.आई.। साथ ही मरीज़ को अपने कंधे में हो रही परेशानी से जुड़े कुछ सवालों के जवाब भी देने होंगे। कंधे में दर्द का इलाज मुख्यतः चार तरीकों से होता है। इनमें सबसे पहले शामिल है दवाइयां, उसके बाद इंजेक्शन, जैसे कि काॅर्टिकोस्टेराॅइड। कंधे के मूवमेन्ट में सुधार और दर्द से राहत के लिए आपके कुछ शारीरिक गतिविधियों भी करनी पड़ सकती हैं। और जब इन सब उपायों के प्रयोग के बाद भी कंधे की परेशानी से छुटकारा ना मिले, तो ऐसे समय में डाॅक्टर सर्जरी की तरफ इशारा कर सकते हैं। शाॅल्डर रिप्लेसमेन्ट और रिवर्स शाॅल्डर रिप्लेसमेन्ट के अलावा आर्थरोस्कोपी (arthroscopy), रोटेटर कफ सर्जरी (rotator cuff surgery)], टोर्न लेब्रम सर्जरी (torn labrum surgery), और फ्रेक्चर रिपेयर सर्जरी (fracture repair surgery) आदि शामिल हैं।
हां, अगर रोटेटर कफ में कोई समस्या है, तो उसके लिए कुछ व्यायाम और देखभाल के उपायों केे बारे में बताया जा सकता है।

घर पर कंधे में दर्द के कुछ उपाय

अगर आप कंधे में अत्यधिक दर्द महसूस कर रहे हैं और इससे आपको परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, तो कृपया डाॅक्टर से शीघ्र संपर्क करें। लेकिन यदि दर्द सामान्य है, तो आप कुछ बिंदुओं को ध्यान में रख सकते हैं।
1. कंधे पर बर्फ का सेक करें। बर्फ को किसी कपड़े में डालकर कंधे की जगह पर कुछ समय के लिए रखें। ऐसा दिन में 3 से 4 बार दो से तीन दिन करने पर कंधे में दर्द से आराम मिल सकता है।
2. अपने कंधे से जुड़ी गतिविधियों को कुछ दिन के लिए विराम दें।
3. अगर समस्या रोटेटर कफ से जुड़ी है तो आप डाॅक्टर की सलाह से कुछ व्यायाम कर सकते हैं। खासतौर से वो व्यायाम जिससे कंधे की मांसपेशियां और रोटेटर कफ टेन्डंस मज़बूत हों।
4. यदि आप टेन्डिनाइटिस से उबर रहे हैं तो उचित व्यायाम करें जिससे फ्रोज़न शोल्डर की समस्या ना हो।
5. सोते समय अपने तकिए को सही तरह से कंधे के नीचे रखें, अन्यथा तकिए को गलत तरीके से रखना भी दर्द का कारण बन सकता है। कोशिश करें कि ऐसा तकिया चुना जाए जो ज़्यादा ऊंचा ना हो और ज़्यादा सख्त भी ना हो।

मेवाड़ हास्पिटल की टीम का संदेश

यदि आप कंधे के दर्द , स्लिप डिस्क या किसी भी अन्य दर्द से परेशान हैं और यह परेशानी दिन-बदिन बढ़ती ही जा रही है, तो कृपया किसी अच्छे आर्थोपेडिक डाॅक्टर से संपर्क करें। ऐसी परिस्थितियों में मेवाड़ हाॅस्पिटल की टीम इस दर्द को दूर करने में आपके लिए हाज़िर है। हमारे राजस्थान व मध्यप्रदेश के विभिन्न इलाकों में बेहतरीन और अनुभवी आॅर्थोपेडिक डाॅक्टर्स हैं जो आपको उचित सलाह के साथ दर्द को दूर करने के लिए उपयोगी इलाज के बारे में परिचित कराएंगे। और साथ ही यदि आपको किसी और तरह की जानकारी से अवगत होना है, तो आप हमारे दिए गए हैल्पलाइन नंबर्स पर काॅल कर सकते हैं या आॅनलाइन चैट सपोर्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं। अन्यथा हमारे डाॅक्टर्स से अपोइंटमेन्ट के माध्यम से मिल सकते हैं।

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