जानें ऑस्टियोपोरोसिस से जुड़ी महत्त्वपूर्ण बातें

November 25, 2022by admin-mewar
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जानें ऑस्टियोपोरोसिस क्या है एवं कारण, लक्षण व इलाज
प्रारंभिक शिक्षा के दौरान विज्ञान और सामान्य ज्ञान का एक सवाल लगभग हम सबके सामने आया है कि मानव शरीर में कितनी हड्डियां होती हैं? हममें से तकरीबन सभी इस बात से परिचित हैं कि हमारे शरीर में 206 हड्डियां होती हैं। ये हमें विभिन्न कार्यों को सकुशल करने में मदद करती हैं। इनका स्वास्थ्य हमारे खुशहाल जीवन के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। हड्डियों से जुड़ी कई स्थितियां हैं जिनके कारण एक व्यक्ति परेशानी महसूस कर सकता है। आपने फ्रेक्चर या हड्डी का अपनी जगह से खिसक जाने के बारे में तो सुना ही होगा। आज मेवाड़ हाॅस्पिटल की टीम बात करने जा रही है हड्डी से जुड़े एक गंभीर रोग की, जो बेहद दुखदायी साबित हो सकता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) की जिसके कारण हड्डी कमज़ोर हो जाती है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

ऑस्टियोपोरोसिस की परिभाषा

ये हड्डी से जुड़ा रोग है जो हड्डियों को झिरझिरा या भुरभुरा कर देता है। इसे आप यूं समझ सकते हैं कि स्वस्थ हड्डियों में छोटे छेद होते हैं जिन्हें माइक्रोस्कोप से देखा जाए तो वे मधुमक्खी के छत्ते की तरह दिखाई देते हैं। जब किसी व्यक्ति को ऑस्टियोपोरोसिस होता है तो हड्डियों के छेद स्वाभाविक से ज़्यादा बढ़ जाते हैं। इस वजह से हड्डी अपनी क्षमता खो देती है और उसकी बाहरी सतह भी कमज़ोर और पतली हो जाती है।
इसके फलस्वरूप हड्डी के टूटने का खतरा अत्यधिक हो जाता है। यहां तक कि मामूली तौर पर गिरने से भी फ्रेक्चर हो सकता है। कुछ मौके इतने गंभीर हो जाते हैं जहां छींकने या किसी वस्तु से मामूली टक्कर भी हड्डी टूटने का कारण बन जाती है। ऐसी गतिविधि होने पर व्यक्ति को दर्द, चलने-फिरने और अपने दिनचर्या के कामों को करने में असमर्थता हो जाती है।

जाने ऑस्टियोपोरोसिस से जुड़े कुछ मुख्य बिंदु

1. वैसे तो यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को परेशान कर सकती है, लेकिन आमतौर पर इसका असर बुजुर्गों या ज़्यादा उम्र वाले व्यक्तियों में देखने को मिलती है।
2. कुछ मौकों पर यह समस्या छोटे कद का कारण भी बन जाती है।
3. इस बीमारी के कारण कई गतिविधियों को करने में बाधा आ जाती है जिसके कारण व्यक्ति को डिप्रेशन का भी सामना करना पड़ सकता है।
4. इस अवस्था में मरीज़ को किसी व्यक्तिगत जगह पर अत्यधिक समय बिताना पड़ता है क्योंकि हड्डी टूट जाने के बाद उसके उपचार में एक लंबा समय लगता है। यहां तक कि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें लंबे समय के लिए होम नर्सिंग की सहायता लेनी पड़ती है।
5. इस अवस्था से पूरी दुनिया में करोड़ों लोग प्रभावित हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक तकरीबन 20 करोड़ की आबादी इस समय ऑस्टियोपोरोसिस से जूझ रही है।
6. कई मेडिकल अवस्थाएं जैसे कैंसर, डायबिटीज़, गठिया रोग (आर्थराइटिस), स्ट्रोक, ल्यूकेमिया, आदि हैं जिनके कारण हड्डियों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
7. स्टेराॅइड का ज़्यादा या लंबे समय तक इस्तेमाल भी हड्डियों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है और ऑस्टियोपोरोसिस की संभावना को बढ़ा सकता है।

लक्षण जिन्हें देखकर या महसूस करके ऑस्टियोपोरोसिस का पता लगाया जाए

ऑस्टियोपोरोसिस उन रोगों की श्रेणी में आता है जिनका सामान्य तौर पर पता लगाया जाना कठिन है। कभी-कभी तो जिस व्यक्ति को ऑस्टियोपोरोसिस हो रहा है उसे भी इस बीमारी का पता तब तक नहीं लगता जब तक कि वह फ्रैक्चर का सामना ना कर ले। दुनिया में लाखों फ्रेक्चर ऑस्टियोपोरोसिस के कारण होते हैं।

आइए जानते हैं ऑस्टियोपोरोसिस के मुख्य लक्षणों के बारे में

1. पाॅश्चर यानी आसन में बदलाव
2. हड्डी का टूटना
3. कमर के निचले हिस्से में दर्द
4. कद का सामान्य से कम होना
5. सांस लेने में दिक्कत होना
6. हड्डी का आसानी से टूट जाना

इसके अलावा भी ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण देखने को मिल सकते हैं जिनमें शामिल है मसूड़ों का घटना, कमजा़ेर नाखून एवं किसी वस्तु को पकड़ने की शक्ति में कमी होना।
यदि ऑस्टियोपोरोसिस एक खतरनाक स्टेज पर पहुंच चुका है तो ऐसे मौकों पर नीचे गिर जाने से, छींकने या खांसी के दौरान फैक्चर होना या फिर सर्वाइकल पेन, गर्दन और कमर में दर्द होना पाया जा सकता है। ऐसी स्थितियों में फ्रैक्चर इसलिए होता है क्योंकि हड्डियां अत्यधिक कमजोर हो जाती हैं। इसके ठीक होने का समय विभिन्न बातों पर निर्भर करता है, जैसे कि फैक्चर किस जगह हुआ है, व्यक्ति की उम्र क्या है, एवं उसका स्वास्थ्य किस प्रकार का है।
ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण दिखने पर या फ्रैक्चर-संबंधी स्थिति में डॉक्टर से ज़रूर बात करें। बेहतर उपचार और सलाह के लिए मेवाड़ हॉस्पिटल के कुशल ऑर्थोपेडिक डॉक्टर्स आपकी सेवा के लिए उपलब्ध हैं।

जानिए ऑस्टियोपोरोसिस से जुड़े विभिन्न कारणों को

इंसान के जन्म से लेकर एक निश्चित अवस्था तक हड्डियों का विकास चलता रहता है। तकरीबन 20 साल की आयु के नज़दीक वो समय आता है जहां हड्डियां मज़बूत और ठोस हो जाती हैं। यह वो उम्र होती है जहां फ्रैक्चर होने का खतरा बहुत कम होता है। मुमकिन है कि यह बात आपको मालूम ना हो लेकिन हमारी हड्डियों का नवीकरण होता है जहां नई हड्डी पुरानी हड्डी का स्थान ले लेती है। इसकी मदद से हमारी हड्डी का ढांचा मज़बूत रहता है।
लेकिन जब किसी व्यक्ति को ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या होती है, तो ऐसे मौकों पर नई हड्डी पुरानी हड्डी का स्थान नहीं ले पाती। इस स्थिति की वजह से हड्डी कमज़ोर और भुरभुरी होने लगती है और व्यक्ति को फैक्चर जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है। इसलिए हमें चाहिए की शुरुआत से ही अपनी और अपने परिवारजन की हड्डियों के स्वास्थ्य पर पूर्ण रुप से ध्यान दें ताकि ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं से बच सकंे।

1. ऑस्टियोपोरोसिस के कारणों में सबसे पहले बात करते हैं पारिवारिक इतिहास की। यदि एक ही परिवार के अन्य लोगों को यह समस्या है तो मुमकिन है कि इसका असर आप पर भी पढ़े। उदाहरण के तौर पर यदि आपके मां-बाप या दोनों में से किसी एक कोई यह समस्या है तो शायद आप भी इसकी शिकार बन सकते हैं।
2. इसके अलावा पुरुषों के मुकाबले औरतों में यह स्थिति ज़्यादा पाई जाती है।
3. बॉडी फ्रेम का पतला और छोटा होना भी ऑस्टियोपोरोसिस का कारण बन सकता है।

और भी कई ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से यह समस्या उत्पन्न हो सकती है जिसमें शामिल है धूम्रपान, शराब का सेवन, खाने में कैल्शियम की कमी, एक्सरसाइज की कमी, सामान्य स्वास्थ्य में खराबी एवं खराब पोषण, आदि।

औरतों में एक स्थिति जिसे मेनोपाॅस (menopause) कहा जाता है, यह भी ऑस्टियोपोरोसिस के होने की संभावना को बढ़ा देती है। इसके अलावा वे औरतें जिन्हें कीमोथेरेपी का सामना करना पड़ता है या जिन्हें हाइपरथाइरॉयडिज़्म (hyperthyroidism) और हाइपरपैराथाइराॅयडिज़्म (hyperparathyroidism) की परेशानी होती है, उनमें भी ऑस्टियोपोरोसिस होने की संभावना बढ़ जाती है। इन परिस्थितियों की पूर्ण रूप से जानकारी प्राप्त करने के लिए आप मेवाड़ हॉस्पिटल पधार कर हमारे डॉक्टर्स से बात कर सकते हैं।

अन्य ऑस्टियोपोरोसिस के कारण में शामिल हैं कुछ दवाइयों का लंबे समय तक सेवन जैसे कि खून को पतला करने की दवाई, ओरल कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (oral corticosteroids) आदि।

ऑस्टियोपोरोसिस की जांच

यदि प्रारंभिक समय में ऑस्टियोपोरोसिस का पता लगाया जाए तो यह व्यक्ति के लिए कई तरह से फायदेमंद साबित हो सकता है। जैसे कि यदि किसी व्यक्ति के हड्डी में फ्रैक्चर है, तो उस वजह से दूसरी हड्डी के टूटने का भी डर बना रहता है जिस कारण चलने-फिरने में असमर्थता और कई अन्य परेशानियां हो सकती है। इसलिए प्रारंभिक जांच में पता लगने से इलाज में मदद के साथ ही फ्रैक्चर होने की संभावना भी कम हो जाती है।
ऑस्टियोपोरोसिस की जांच के लिए फिजिकल एग्जा़म किया जाता है। इसके अलावा डॉक्टर मरीज़ की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानकारी हासिल करते हैं। कुछ मौकों पर खून और पेशाब की जांच भी की जाती है जिससे हड्डी से जुड़ी परेशानियों का पता लगाया जा सके। कई मौकों पर डॉक्टर बोन डेंसिटी टेस्ट (bone density test) की भी सलाह देते हैं।

बोन डेंसिटी टेस्ट क्या है?

इसे बोन डेंसिटोमेट्री या फिर ड्यूअल एनर्जी एक्स-रे एब्जा़ॅर्प्टियोमेट्री (DEXA) भी कहा जाता है। ये एक प्रकार की एक्स-रे जांच होती है जिससे शरीर के विभिन्न अंगों, जैसे कमर, कूल्हे और कलाई की हड्डी का घनत्व मापा जाता है। यह टेस्ट बिना किसी दर्द के कुछ ही समय में हो जाता है।

ऑस्टियोपोरोसिस के उपचार विकल्प

ऑस्टियोपोरोसिस के उपचार में सबसे महत्वपूर्ण बात मानी जाती है हड्डी के फ्रैक्चर की संभावना को कम करना एवं हड्डी के घनत्व और मज़बूती को बढ़ावा देना। यदि ऑस्टियोपोरोसिस का समय पर पता लगा लिया जाए और इसका उपचार कर लिया जाए तो यह होने वाले फ्रैक्चर की संभावना को कम कर देगा। याद रहे कि ओस्टियोपोरोसिस का पूर्ण रूप से इलाज नहीं हो सकता और ना ही ऐसे कोई विकल्प मौजूद हैं जिनकी वजह से कमजोर हड्डियां दोबारा पहले जैसी हो जाएं। इसीलिए इस परिस्थिति का रोकथाम इलाज में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

ऑस्टियोपोरोसिस का इलाज इन बातों पर निर्भर रहता है:-
1. फ्रैक्चर की संभावना को कम करना
2. दर्द का निवारण करना
3. बोन मिनिरल डेंसिटी को पर्याप्त रखना
4. ऑस्टियोपोरोसिस के विकास को कम करना या रोकना

कुछ दवाइयां मौजूद हैं जो इस परिस्थति के रोकथाम और उपचार में काम आती हैं। जैसे कि एस्ट्रोजन एगोनिस्ट और एंटागोनिस्ट, कैल्सीटोनिन, पैरा थायराॅइड हार्मोन्स, और मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज़।

ऑस्टियोपोरोसिस में काम आने वाली डाइट

उपचार विकल्प के अलावा एक अच्छी डाइट भी हड्डियों को मज़बूत करने में उपयोगी है। खासतौर से अगर बात की जाए हड्डियों के स्वास्थ्य की, तो इन्हें स्वस्थ रखने के लिए विटामिन-डी और कैल्शियम का अहम योगदान होता है। इनके अलावा प्रोटीन, ज़िंक, मैग्नीशियम और विटामिन-ज्ञ भी हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए अच्छे स्त्रोत माने जाते हैं। यदि आप अपनी स्थिति के अनुसार एक बेहतरीन डाइट जानना चाहते हैं तो आज ही हमारे हॉस्पिटल पधारें और डॉक्टर्स से बात करें जो कि ना सिर्फ हड्डियों के स्वास्थ्य बल्कि आपकी शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक बेहतरीन डाइट चार्ट द्वारा आपकी मदद करेंगे।

ऑस्टियोपोरोसिस का रोकथाम

यदि आप अपनी जीवनशैली में कुछ परिवर्तन कर लेते हैं तो इससे ऑस्टियोपोरोसिस रोकथाम हो सकता है।
1. जिन लोगों को धूम्रपान करने की आदत है यानि सिगरेट पीने की, उन्हें चाहिए कि इस गतिविधि को जल्द से जल्द खत्म कर दिया जाए। धूम्रपान के कारण नई हड्डी बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है और ये औरतों में एस्ट्रोजन हार्मोन के लेवल को कम कर देता है।
2. जिन लोगों को शराब के सेवन की आदत है वे जल्द से जल्द इसे त्याग दें। यह हड्डियों के स्वास्थ्य और सुखद जीवन के लिए एक उचित कदम माना जाएगा।
3. अपनी जीवनशैली में मॉर्निंग वॉक को प्राथमिकता दें। यदि बाहर घूमना मुमकिन नहीं तो घर में ही कुछ देर तक वाॅक कर लिया करें क्योंकि इस गतिविधि के कारण हड्डियों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है और यह हड्डियों और मांसपेशियों के सपोर्ट को मज़बूत करती है।

ऑस्टियोपोरोसिस की एक्सरसाइज

खाने के साथ व्यायाम करना महत्वपूर्ण है। याद रखें कि वज़न उठाने वाली एक्सरसाइज हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए उचित मानी जाती हैं। लेकिन हां, इन्हें ठीक तरह से उठाएं वरना आपकी कमर में दर्द हो सकता है। और ये ज़रूरी नहीं कि आप जिम जाने का ही इंतजा़र करें, घर पर भी किसी ना किसी तरह सेएक्सरसाइज़ कर सकते हैं जिसमें सीढ़ियां चढ़ना-उतरना शामिल है। इसके अलावा आप पुश-अप, लेग प्रेस आदि भी उपयोगी हैं।
यदि आप घर पर एक्सरसाइज करना चाहते हैं तो उसके लिए रेजिस्टेंस बैंड, डंबल या फिर रेजिस्टेंस एक्सरसाइज मशीन की सहायता ले सकते हैं। हड्डियों को फायदा पहुंचाने के अलावा एक्सरसाइज आपके शारीरिक वज़न और हृदय के स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी है। ऑस्टियोपोरोसिस के कारण फ्रैक्चर होता है जो गिरने के कारण भी हो सकता है। इसलिए जब आप किसी शारीरिक व्यायाम से जुड़े रहेंगे तो यह आपके बैलेंस को प्रभावित करेगा जिसके कारण आप गिरने से बचेंगे।

मेवाड़ हॉस्पिटल का संदेश

हम उम्मीद करते हैं कि बताई गई बातें आपने अच्छी तरह समझी होंगी। हम यही संदेश देंगे कि जीवन में व्यायाम को महत्व दें और प्रतिदिन कुछ समय एक्सरसाइज के लिए निकालें। ऑस्टियोपोरोसिस से जुड़ी कई बातें हमने आप तक पहुंचाने की कोशिश की।
यदि इन बातों के अलावा भी आप इस परिस्थति से जुड़ी कोई और बात जानना चाहते हैं, तो हमारी वेबसाइट या दिए गए नंबर पर काॅल करके हमारे डाॅक्टर से अपाॅइंटमेन्ट लें या हमारे सेन्टर्स पर पधारें। मेवाड़ हाॅस्पिटल की टीम ऑस्टियोपोरोसिस के रोकथाम और उसके इलाज में आपकी मदद के लिए हाज़िर है ताकि आप एक बेहतर और सुखी जीवन जी सकें।

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